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Places to Visit In Rajgir | राजगीर में घूमने वाली जगहें कौन सी हैं?

What are the Places to Visit in Rajgir

भारत के बिहार में राजगीर की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच, राजगीर का प्राचीन शहर बसा हुआ है। यह शहर इतिहास और आध्यात्मिकता से भरा हुआ है। राजगीर शहर हर तरह के यात्रियों के लिए एक खास अनुभव प्रदान करता है। चाहे कोई तीर्थयात्री करने आया हों या इतिहास प्रेमी जो पुराने समय की झलक देखना चाहते हों। यह शहर सबका स्वागत करता है और अपने खजाने का खुलासा करता है।

प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक स्थलों से भरपूर राजगीर एक ऐसा स्थान है जहां हर यात्रा प्रेमी को एक बार जरूर जाना चाहिए। इस लेख में हम आपको राजगीर में घूमने वाली जगहें कौन सी हैं? (Places to Visit In Rajgir) के बारे में बताएँगे और उनसे जुड़ी जानकारी भी देंगे।

Table of Contents

राजगीर में घूमने लायक बहुत सी जगहें हैं।यहां हम आपको राजगीर में घूमने वाले शीर्ष स्थानों के बारे में बताने जा रहे है।देखा जाये तो राजगीर एक दिन में घूमने वाली जगह नहीं है इसके लिए आपको 2 दिन का समय निकलना होगा।आइये आपको बताते है की राजगीर में घूमने की जगहें कौन कौन सी है:

विश्व शांति स्तूप राजगीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ से आपको चारों ओर के सुंदर दृश्यों का आनंद भी मिल सकता है। यह स्थान आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून के लिए जाना जाता है।

Things To Know About Vishwa Shanti Stupa (विश्व शांति स्तूप)
स्थापना वर्ष: 
विश्व शांति स्तूप की स्थापना 1969 में हुई थी।
स्थान: यह स्तूप बिहार राज्य के राजगीर शहर में स्थित है।
कितनी जगहों में बना है:विश्व शांति स्तूप भारत सहित जापान, श्रीलंका, नेपाल, और अन्य कई देशों में बने हुए हैं। भारत में प्रमुख रूप से राजगीर, लद्दाख, और वर्धा में शांति स्तूप स्थित हैं।
किसने बनाया: इसका निर्माण जापानी बौद्ध भिक्षु फुजी गुरुजी (Nichidatsu Fujii) और उनकी संस्था ‘नीपोन्ज़ान मायोहोजी’ द्वारा कराया गया था।
राजगीर शहर से दूरी:यह स्तूप राजगीर शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रवेश शुल्क:विश्व शांति स्तूप में प्रवेश निशुल्क है, यानी यहाँ जाने के लिए कोई टिकट नहीं लेना पड़ता।
नियम:इस पवित्र स्थान पर शांति बनाए रखने के लिए कुछ नियम हैं। पर्यटकों को शांति और स्वच्छता बनाए रखनी होती है, और वहाँ किसी भी प्रकार की अशांति या अव्यवस्था उत्पन्न नहीं करनी चाहिए।
उद्देश्य:विश्व शांति स्तूप का मुख्य उद्देश्य वैश्विक शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है। यह स्तूप अहिंसा और शांति के संदेश का प्रतीक है।
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  • ऊंचाई और संरचना: राजगीर में स्थित विश्व शांति स्तूप लगभग 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी सफेद संगमरमर से बनी संरचना बहुत ही आकर्षक है, जिसमें चार सोने की मूर्तियाँ भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में स्थापित हैं।
  • रोपवे सुविधा: इस स्तूप तक पहुँचने के लिए रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है, जो पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव प्रदान करती है। यह रोपवे राजगीर के नीचे की घाटी से ऊपर स्तूप तक जाता है।
  • मूर्ति की मुद्राएँ: स्तूप के चारों ओर भगवान बुद्ध की चार मूर्तियाँ हैं, जो उनके जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाती हैं – जन्म, ज्ञान प्राप्ति, पहला उपदेश, और महापरिनिर्वाण।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: स्तूप से आसपास का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। यहां से राजगीर की पहाड़ियों और घने जंगलों का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।
  • शांति घंटे: स्तूप के पास एक विशाल शांति घंटा (Peace Bell) भी स्थित है, जिसे बजाकर लोग विश्व शांति की कामना करते हैं।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: विश्व शांति स्तूप न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यहाँ हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं।
  • प्रसिद्ध कार्यक्रम और उत्सव: विश्व शांति स्तूप में नियमित रूप से धार्मिक कार्यक्रम, ध्यान सत्र, और शांति सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है, जिसमें भाग लेने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।
  • समीपवर्ती आकर्षण: राजगीर में विश्व शांति स्तूप के अलावा भी कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जैसे वेणुवन, ग्रिधकूट पर्वत, बिम्बिसार जेल, और नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
Things To Know About वेणुवन (Venuvana):  
स्थापना वर्ष: वेणुवन का निर्माण 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। यह सम्राट बिम्बिसार द्वारा भगवान बुद्ध को उपहार के रूप में दिया गया था।
स्थान: वेणुवन बिहार राज्य के राजगीर शहर में स्थित है।
कितनी जगहों में बना है: वेणुवन एक ही स्थान पर स्थित है, जो राजगीर में एक प्रमुख बौद्ध स्थल है।
किसने बनवाया: वेणुवन का निर्माण मगध साम्राज्य के राजा बिम्बिसार ने कराया था। यह भगवान बुद्ध का पहला मठ था, जहाँ वे और उनके अनुयायी रहते थे।
राजगीर शहर से दूरी: वेणुवन राजगीर शहर के केंद्र से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो आसानी से पहुँचा जा सकता है।
प्रवेश शुल्क: वेणुवन में प्रवेश के लिए एक मामूली शुल्क लिया जाता है, जो इस ऐतिहासिक स्थल के रखरखाव और संरक्षण में मदद करता है।
नियम: वेणुवन में प्रवेश करते समय पर्यटकों को शांति और स्वच्छता बनाए रखनी होती है। वहाँ पर किसी भी प्रकार की अशांति या कचरा फैलाने की अनुमति नहीं है।
उद्देश्य: वेणुवन का मुख्य उद्देश्य भगवान बुद्ध और उनके अनुयायियों के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान प्रदान करना था, जहाँ वे ध्यान और उपदेश कर सकें। यह स्थल आज भी शांति और ध्यान का प्रतीक है।
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  • प्राकृतिक सौंदर्य: वेणुवन एक सुंदर बांस का वन है, जहाँ आज भी बांस के पेड़ और झीलें देखने को मिलती हैं। यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य और शांति के लिए प्रसिद्ध है।
  • ऐतिहासिक महत्व: वेणुवन वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए और जहाँ बौद्ध संघ (संग्रह) का पहला मठ स्थापित हुआ था।
  • ध्यान केंद्र: वर्तमान में, वेणुवन में ध्यान केंद्र भी स्थापित हैं, जहाँ पर्यटक और श्रद्धालु ध्यान और योग सत्रों में भाग ले सकते हैं।
  • समीपवर्ती आकर्षण: वेणुवन के आसपास कई अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जैसे विश्व शांति स्तूप, बिम्बिसार जेल, सप्तपर्णी गुफाएं, और नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
Things To Know About Saptaparni Caves (सप्तपर्णी गुफाएं) 
स्थापना वर्ष: सप्तपर्णी गुफाओं का निर्माण लगभग 3री शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। यह गुफाएं मौर्य काल के समय की हैं।
स्थान: सप्तपर्णी गुफाएं बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित हैं। ये गुफाएं राजगीर शहर के दक्षिण-पश्चिम में पहाड़ियों पर स्थित हैं।
निर्माण: यह गुफाएं प्राकृतिक रूप से बनी हैं और इन्हें मानवीय हस्तक्षेप से थोड़ा आकार दिया गया है। इन गुफाओं का उपयोग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा ध्यान और सभा के लिए किया जाता था।
राजगीर शहर से दूरी: सप्तपर्णी गुफाएं राजगीर शहर से लगभग 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह दूरी पैदल यात्रा के लिए उपयुक्त है और पहाड़ी मार्ग से होती है।
प्रवेश शुल्क: सप्तपर्णी गुफाओं में प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं लगता है। यह स्थल पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए निःशुल्क है।
नियम: गुफाओं में प्रवेश के दौरान कुछ सामान्य नियमों का पालन करना होता है, जैसे:साफ-सफाई बनाए रखें।धूम्रपान और शराब का सेवन वर्जित है।धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का सम्मान करें।
उद्देश्य: सप्तपर्णी गुफाएं मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध धर्म के पहले संगीति (संगीति का मतलब है धार्मिक सभा) का आयोजन यहीं हुआ था। यह गुफाएं ध्यान, साधना और धार्मिक चर्चा के लिए उपयोग की जाती थीं।
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  • पहली बौद्ध संगीति: सप्तपर्णी गुफाएं विशेष रूप से इस तथ्य के लिए प्रसिद्ध हैं कि यहाँ बौद्ध धर्म की पहली संगीति का आयोजन हुआ था। यह संगीति महात्मा बुद्ध की मृत्यु के तुरंत बाद, उनके प्रमुख शिष्य महाकश्यप की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी।
  • सात पत्तों वाला पेड़: “सप्तपर्णी” नाम संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – “सप्त” का मतलब है सात और “पर्णी” का मतलब है पत्ते। ऐसा माना जाता है कि इन गुफाओं के पास एक ऐसा पेड़ था जिसके सात पत्ते होते थे, और इसी कारण इस स्थान का नाम सप्तपर्णी पड़ा।
  • तपस्या और ध्यान: गुफाओं का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि ये ध्यान और तपस्या के लिए उपयुक्त हैं। यहां की शांति और प्राकृतिक सौंदर्य साधकों को एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है।
  • भित्ति चित्र: गुफाओं की दीवारों पर कई प्राचीन भित्ति चित्र और चित्रकारी के अवशेष देखे जा सकते हैं, जो मौर्य काल की कला और संस्कृति को दर्शाते हैं।
  • प्राकृतिक रूप से ठंडी गुफाएं: ये गुफाएं अपने आप में एक प्राकृतिक वातानुकूलन प्रणाली जैसी हैं। गर्मियों में भी यहां का तापमान ठंडा रहता है, जो इसे एक आदर्श स्थल बनाता है ध्यान और शांति के लिए।
  • संगीतिक गूँज: गुफाओं के अंदर की संरचना ऐसी है कि वहां की गई आवाज़ गूंजती है। इसे बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मंत्रों के उच्चारण के दौरान उपयोग किया जाता था, जिससे एक गूंजती हुई प्रभावशाली ध्वनि उत्पन्न होती थी।
  • प्राकृतिक जल स्रोत: सप्तपर्णी गुफाओं के पास एक प्राकृतिक जल स्रोत भी है, जिसका उपयोग प्राचीन काल में भिक्षुओं द्वारा पानी के लिए किया जाता था।
  • पर्वतीय दृश्य: गुफाओं से राजगीर और आसपास के पर्वतीय क्षेत्र का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
Things To Know About स्वर्ण भंडार (Swarna Bhandar):  
स्थापना वर्ष: स्वर्ण भंडार की सही स्थापना का वर्ष ज्ञात नहीं है, लेकिन यह मौर्य काल (4वीं शताब्दी ईसा पूर्व) से संबंधित माना जाता है।
स्थान: स्वर्ण भंडार बिहार राज्य के राजगीर शहर में स्थित है।
क्षेत्रफल: 
यह मुख्यतः दो गुफाओं का संग्रह है, जो राजगीर के वैभवशाली इतिहास का हिस्सा हैं।
निर्माता: यह माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण मौर्य काल के दौरान किया गया था, और संभवतः बिंबिसार या उनके उत्तराधिकारियों द्वारा बनवाया गया था।
राजगीर शहर से दूरी: सोनभंडार गुफाएं राजगीर शहर के केंद्र से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
प्रवेश शुल्क: स्वर्ण भंडार गुफाओं में प्रवेश के लिए टिकट लेना पड़ता है। भारतीय पर्यटकों के लिए यह शुल्क नाममात्र का है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए यह शुल्क थोड़ा अधिक हो सकता है।
नियम: गुफाओं के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है और पर्यटकों को गुफाओं के अंदर शांतिपूर्ण व्यवहार करने का निर्देश दिया जाता है। इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण हेतु कचरा फेंकने की मनाही है।
उद्देश्य: स्वर्ण भंडार का मुख्य उद्देश्य मौर्य काल की वास्तुकला और इतिहास को दर्शाना है। यह गुफाएं प्राचीन समय में खजाने को सुरक्षित रखने के लिए उपयोग की जाती थीं, और इन्हें सोनभंडार (स्वर्ण भंडार) नाम इसी कारण मिला है।
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  • रहस्यमयी दरवाजा: स्वर्ण भंडार गुफाओं में एक रहस्यमयी दरवाजा है, जिसे “स्वर्ण द्वार” कहा जाता है। माना जाता है कि इस दरवाजे के पीछे मौर्य काल का खजाना छिपा हुआ है। इस दरवाजे पर प्राचीन ब्राह्मी लिपि में लेख अंकित हैं, जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ सका है।
  • प्राचीन शिलालेख: गुफाओं के अंदर कई प्राचीन शिलालेख पाए जाते हैं, जो मौर्य काल की भाषा और लिपि का महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये शिलालेख उस समय के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन की झलक प्रस्तुत करते हैं।
  • महावीर का संबंध: यह माना जाता है कि भगवान महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, ने भी इन गुफाओं में कुछ समय बिताया था। इसलिए, ये गुफाएं जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं।
  • संरक्षण और रखरखाव: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) द्वारा स्वर्ण भंडार गुफाओं का संरक्षण और रखरखाव किया जाता है। यह गुफाएं राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित हैं।
  • पर्यटन स्थल: स्वर्ण भंडार गुफाएं राजगीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं। यहां साल भर देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं, जिससे यह स्थल बिहार के पर्यटन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

यह विशाल दीवार राजगीर को घेरे हुए है और माना जाता है कि इसे लिच्छवी राजवंश द्वारा बनवाया गया था। दीवार के विशाल पत्थरों को बिना किसी सीमेंट के जोड़ा गया है, जो उस समय की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण हैं।

Things To Know About Cyclopean Wall (साइक्लोपियन वॉल)
स्थापना का वर्ष: साइक्लोपियन वॉल की स्थापना का वर्ष अत्यधिक प्राचीन है, जिसे करीब 600 ई.पू. पूर्व माना जाता है।
स्थान: यह वॉल भारत के बिहार राज्य में स्थित है। इसकी प्रमुख स्थान राजगीर नगर में है।
कितनी जगहों पर बना है: साइक्लोपियन वॉल कई जगहों पर बना है, जो कि राजगीर के चारों ओर फैला हुआ है।
किसने बनाया: इस दीवार का निर्माण मानव श्रम द्वारा किया गया था।
राजगीर शहर से कितनी दूर है: साइक्लोपियन वॉल राजगीर नगर से लगभग 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: साइक्लोपियन वॉल पर प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। यहां आने के लिए किसी भी टिकट की आवश्यकता नहीं है।
नियम:  साइक्लोपियन वॉल पर कुछ नियम हैं जैसे कि आपको प्राचीन मन्दिरों और स्थलों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी रूप में नष्टिकृति या लिखित विवाद करने का प्रतिबंध है।
उद्देश्य: 


साइक्लोपियन वॉल का मुख्य उद्देश्य राजगीर के प्राचीन इतिहास को संरक्षित रखना और दर्शनीय स्थल के रूप में पर्यटकों को प्रस्तुत करना है।
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प्राचीन इतिहास: साइक्लोपियन वॉल प्राचीन भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे गौतम बुद्ध के समय से जोड़ा जाता है।

मजबूती और सामर्थ्य: इस दीवार का निर्माण इस्थायीता और मजबूती के साथ किया गया है, जो इसे विभिन्न प्राकृतिक आपातकालीन परिस्थितियों के खिलाफ सुरक्षित बनाता है।

अद्भुत आर्किटेक्चर: साइक्लोपियन वॉल की आर्किटेक्चरल विशेषता उसके मोटे और बड़े पत्थरों के उपयोग में है, जो कि बिना किसी गुंजाइश के बहुत ही संयंत्रीय तरीके से रखे गए हैं।

पर्यटक आकर्षण: यह दीवार अपने प्राचीनता और आकर्षकता के लिए प्रसिद्ध है और पर्यटकों की भीड़ को आकर्षित करता है।

संरक्षण की आवश्यकता: इसे संरक्षित और अनुरक्षित करने के लिए प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन के द्वारा विभिन्न पहल की जा रही हैं।

यह एक खूबसूरत कृत्रिम झील है, जो सात किलोमीटर लंबी सड़क से जुड़ी हुई है। झील में राजहंस और बत्तख जैसे पक्षी देखने को मिलते हैं। आप यहां नौका विहार का आनंद ले सकते हैं या पिकनिक मना सकते हैं।

Things To Know About Ghora Katora Lake (घोड़ा कटोरा झील)
स्थापना का वर्ष: घोड़ा कटोरा झील का निर्माण 2020 में किया गया था।
स्थान: यह झील बिहार के राजगीर शहर के पास स्थित है।
कितनी जगह में बना है: यह झील एक बड़े क्षेत्र में बनाई गई है और उसके आसपास का इलाका भी शांतिपूर्ण है।
किसने बनाया: घोड़ा कटोरा झील का निर्माण बिहार सरकार ने किया था।
राजगीर शहर से कितनी दूर है:यह झील राजगीर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: घोड़ा कटोरा झील में सबके लिए एंट्री मुफ्त है।
नियम:यहाँ कुछ नियम और विनियम लागू हो सकते हैं जैसे कि साफ सफाई का ध्यान रखना और प्राकृतिक संरक्षण के लिए नियमों का पालन करना।
उद्देश्य: 


घोड़ा कटोरा झील का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है और पर्यटकों को एक शांत और प्राकृतिक माहौल में आनंद लेने का अवसर प्रदान करना है। 
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प्राकृतिक सौंदर्य: घोड़ा कटोरा झील का अद्वितीय सौंदर्य और शांति पर्यवेक्षक के रूप में लोगों को आकर्षित करता है। इसका सौंदर्य विशेषतः सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अद्भुत होता है।

जलसंरक्षण: घोड़ा कटोरा झील का पानी स्वच्छ और शुद्ध रहने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके साथ ही, झील के चारों ओर पेड़ों और वनस्पतियों को भी संरक्षित किया जाता है।

प्राकृतिक जीवन: घोड़ा कटोरा झील एक विविध जीवन के निवास स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण है। यहाँ प्राकृतिक जीव और पक्षियों की अधिकता होती है, जो यहाँ का प्राकृतिक वातावरण और जलस्रोत का हिस्सा हैं।

खेल और मनोरंजन: घोड़ा कटोरा झील पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है क्योंकि यहाँ विभिन्न जलस्पोर्ट्स और गतिविधियों का आनंद लिया जा सकता है, जैसे कि बोटिंग, फिशिंग, और पिकनिक का आयोजन।

स्थानीय पर्यटक स्थल: घोड़ा कटोरा झील बिहार के पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसे अधिकतर स्थानीय और विदेशी पर्यटक आकर्षित करते हैं। यहाँ का सौंदर्य और शांति अपने आप में एक अनुभव है जो लोगों को यादगार बनता है।

राजगीर में कई जैन मंदिर हैं, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन मंदिरों की शांत वातावरण और सुंदर वास्तुकला आकर्षक है।

Things To Know About Jain Temples (जैन मंदिर)
स्थापना का वर्ष: राजगीर में जैन मंदिरों का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था। इन मंदिरों का निर्माण करीब 2,500 साल पहले किया गया था।
स्थान: ये जैन मंदिर बिहार के राजगीर शहर में स्थित हैं। 
कितनी जगह में बना है: राजगीर में जैन मंदिरों का गणना मुख्य रूप से तीन स्थानों पर की जाती है – पवापुरी, वर्धमान, और ग्रिधकूट।
किसने बनाया: ये मंदिर प्राचीन काल में जैन समुदाय द्वारा बनाए गए थे।
राजगीर शहर से कितनी दूर है:राजगीर बिहार के पटना शहर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: जैन मंदिरों में एंट्री मुफ्त होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर चंदा या दान के रूप में धन देना सुझावित होता है।
नियम:जैन मंदिरों में ध्यान और शांति का वातावरण बनाए रखने के लिए कुछ नियम होते हैं। यहाँ पर बाहर से किसी भी भोजन का प्रवेश नहीं होता और आध्यात्मिक ध्यान के लिए शांति और सावधानी से बातचीत की जाती है।
उद्देश्य: 


राजगीर में स्थित जैन मंदिरों का मुख्य उद्देश्य ध्यान और आध्यात्मिकता को प्रोत्साहित करना है। ये मंदिर जैन समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं और यहाँ प्राचीन जैन श्रावकों की याद और उनके धर्मिक अद्भुतता को समर्पित किया गया है।

विशाल स्थल: राजगीर के जैन मंदिरों का स्थल बहुत विशाल है और यहाँ कई मंदिर हैं, जो प्राचीन काल से ही मौजूद हैं। इन मंदिरों की स्थापना एकाधिक शताब्दी पहले हुई थी।

धार्मिक महत्व: राजगीर के जैन मंदिर जैन समुदाय के लिए धार्मिक महत्व रखते हैं। यहाँ पर श्रद्धालु जैन समुदाय के लोग धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं।

प्राचीन शैली: राजगीर के जैन मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्प की उत्कृष्ट शैलियों का उदाहरण हैं। इन मंदिरों की विशेषता उनके विविध और सुंदर संरचनाओं में दिखती है।

पर्यटन स्थल: राजगीर के जैन मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक इन मंदिरों का भ्रमण करते हैं और अपने धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ाते हैं।
आर्किटेक्चरल विस्तार: राजगीर के जैन मंदिरों की आर्किटेक्चरल विस्तार और सुंदरता उन्हें एक अद्वितीय और अलगावदीन बनाती है। यहाँ के मंदिर अपने विचित्र और अद्भुत रचनात्मकता के लिए प्रसिद्ध हैं।

यह Rajgir Zoo Safari विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों का घर है, जहाँ आप शेर, बाघ, हिरण, हाथी आदि जानवरों को देख सकते हैं। चिड़ियाघर में बच्चों के लिए मनोरंजन के अन्य साधन भी उपलब्ध हैं।

Things To Know About Rajgir Zoo (राजगीर चिड़ियाघर )
स्थापना का वर्ष: राजगीर चिड़ियाघर का निर्माण 2017 में हुआ था।
स्थान: यह चिड़ियाघर बिहार के राजगीर शहर में स्थित है।
कितनी जगह में बना है: राजगीर चिड़ियाघर एक बड़े क्षेत्र में बना है और यहाँ पर विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियाँ, पशुओं, और अन्य जानवरों को देखने का अवसर है।
किसने बनाया: यह चिड़ियाघर बिहार सरकार द्वारा बनाया गया था।
राजगीर शहर से कितनी दूर है:राजगीर चिड़ियाघर राजगीर शहर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: राजगीर चिड़ियाघर में एंट्री के लिए एक निर्धारित टिकट लेना पड़ता है।
नियम:चिड़ियाघर के अंदर कुछ नियम और विनियम होते हैं, जैसे कि चिड़ियाघर के नियमों का पालन करना, जानवरों के पास मत जाना, और अपने बच्चों को बांधकर रखना।
उद्देश्य: 


राजगीर चिड़ियाघर का मुख्य उद्देश्य जानवरों के संरक्षण, उनके अध्ययन, और जनता को जानवरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसके साथ ही, यहाँ पर शिक्षा कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जो जानवरों के महत्व को समझाते हैं।

जीव विविधता: राजगीर चिड़ियाघर में विशाल संख्या में अलग-अलग प्रकार के पशुओं और पक्षियों की विविधता है, जो देखने और अध्ययन के लिए रोचक है।

शिकारी पशुओं का प्रदर्शन: यहाँ पर बाघ, शेर, लेओपर्ड, और अन्य शिकारी पशुओं का प्रदर्शन किया जाता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है।

अध्ययन केंद्र: राजगीर चिड़ियाघर में एक विशेष अध्ययन केंद्र है जहाँ जानवरों के विशेषता और उनके व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।

सांगणकीय क्रियावली: चिड़ियाघर में सांगणकीय क्रियावली का उपयोग जानवरों की देखभाल और संरक्षण में किया जाता है।

संरक्षण कार्यक्रम: राजगीर चिड़ियाघर में जानवरों के संरक्षण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जैसे कि जागरूकता अभियान, ब्रीडिंग प्रोग्राम्स, और जीव अध्ययन।

राजगीर वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीव सफारी का आयोजन किया जाता है। आप खुली जीप में बैठकर जंगल का भ्रमण कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं।

Things To Know About Wildlife Safari (वाइल्डलाइफ सफारी)
स्थापना का वर्ष: राजगीर में वाइल्डलाइफ सफारी का निर्माण 2021 में हुआ था।
स्थान: यह राजगीर, बिहार में स्थित है, जो नालंदा जिले का हिस्सा है।
कितनी जगह में बना है: यह 900 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
किसने बनाया: इसका निर्माण बिहार वन विभाग द्वारा किया गया था।
राजगीर शहर से कितनी दूर है:यह राजगीर शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: वयस्क: ₹250बच्चे (3-12 वर्ष): ₹150सीनियर सिटीजन (60 वर्ष से अधिक): ₹100
नियम:प्लास्टिक की थैलियों, खाने-पीने की चीजों और ज्वलनशील पदार्थों को ले जाना प्रतिबंधित है।सफारी के दौरान धूम्रपान और शराब पीना प्रतिबंधित है।जानवरों को खिलाना या छेड़ना प्रतिबंधित है।वाहनों को निर्धारित गति से चलाना होगा और शोर नहीं करना होगा।
उद्देश्य: 


वाइल्डलाइफ सफारी का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवन की संरक्षण करना और पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता बढ़ाना है। यहाँ पर्यटक विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों को देखने और उनके संरक्षण का अनुभव करते हैं।

अतिरिक्त जानकारी:

  • सफारी जीपों और बस में आयोजित की जाती हैं जो आगंतुकों को जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने की अनुमति देती हैं।
  • सफारी में एक प्रकृति व्याख्या केंद्र भी है जो वन्यजीवों और उनके निवास स्थान के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • सफारी सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुली रहती है।

प्राकृतिक विविधता: यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर जैसे कि हिरण, बाघ, शेर, गाय, हाथी, लॉरिस, चीता, भालू और अन्य देखे जा सकते हैं।

जैव विविधता केंद्र: यह सफारी केंद्र बिहार में जैव विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को प्रोत्साहित करता है।

बिर्सा जानवर वन्यजीव अभ्यारण्य: राजगीर में स्थित यह सफारी केंद्र बिर्सा जानवर वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में भी जाना जाता है, जो देश के सबसे बड़े जानवर अभ्यारण्यों में से एक है।

बार्डियोलॉजिकल रिसर्च: इस सफारी केंद्र में बायोलॉजिकल और एन्वायरमेंटल रिसर्च कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं, जो जंगली जीवन की विविधता और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य: राजगीर के वाइल्डलाइफ सफारी में प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत अनुभव मिलता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है और उन्हें वन्यजीवन के साथ गहरा जुड़ाव महसूस कराता है।

राजगीर में हाल ही में बनाया गया स्काई वॉक रोमांच पसंद करने वालों के लिए एक बेहतरीन आकर्षण है। यह कांच का बना हुआ पुल है, जो पहाड़ियों के ऊपर से होकर गुजरता है। स्काई वॉक पर चलना आपको रोमांच का अनुभव कराएगा।

Things To Know About Sky Walk (स्काई वॉक)
स्थापना का वर्ष: स्काई वॉक का निर्माण 2022 में हुआ था।
स्थान: यह राजगीर, नालंदा, बिहार में स्थित है। यह रत्नागिरी पहाड़ी पर बना हुआ है।
कितनी जगह में बना है: यह लगभग 85 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ा है।
किसने बनाया: इसका निर्माण बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा करवाया गया है।
राजगीर शहर से कितनी दूर है:यह राजगीर शहर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: वयस्कों के लिए: ₹50बच्चों के लिए: ₹25
नियम:एक बार में अधिकतम 40 लोग ही पुल पर चल सकते हैं।10 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रवेश की अनुमति नहीं है।ऊँची एड़ी के जूते और फिसलने वाले जूते पहनने की अनुमति नहीं है।पुल पर धूम्रपान और खाने-पीने की अनुमति नहीं है।
उद्देश्य: 


पर्यटन को बढ़ावा देनारत्नागिरी पहाड़ी और आसपास के प्राकृतिक दृश्यों का मनोरम दृश्य प्रदान करनारोमांच और साहसिक गतिविधियों का अनुभव प्रदान करना

अतिरिक्त जानकारी:

  • स्काई वॉक सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
  • सोमवार को बंद रहता है।
  • पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।
  • स्काई वॉक के पास एक रेस्तरां और एक दुकान भी है।
  • यह भारत का पहला ग्लास स्काई वॉक है जो 250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
  • यह स्काई वॉक पूरी तरह से पारदर्शी है, जिससे आपको 360 डिग्री का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है।
  • यह स्काई वॉक एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है और हर दिन सैकड़ों लोग यहां आते हैं।

यह प्राकृतिक झील राजगीर के बाहरी इलाके में स्थित है। झील के चारों ओर हरियाली और शांत वातावरण है। आप यहां नौका विहार का आनंद ले सकते हैं या प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए झील के किनारे बैठ सकते हैं।

Things To Know Makhdum Kund (मखदूम कुंड)
स्थापना का वर्ष: मखदूम कुंड का कोई निश्चित स्थापना वर्ष नहीं है। माना जाता है कि इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में सूफी संत मखदूम शाह द्वारा करवाया गया था।
स्थान: यह राजगीर, नालंदा, बिहार में स्थित है। यह रत्नागिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है।
कितनी जगह में बना है: मखदूम कुंड एक प्राकृतिक कुंड है, जिसका क्षेत्रफल  निश्चित नहीं है।
किसने बनाया: इसका निर्माण मखदूम शाह द्वारा करवाया गया था।
राजगीर शहर से कितनी दूर है:यह राजगीर शहर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है।
प्रवेश शुल्क: मखदूम कुंड में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
नियम:मखदूम कुंड एक धार्मिक स्थल है, इसलिए यहां शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है।कुंड में स्नान करने के लिए उचित कपड़े पहनें।कुंड के आसपास कूड़ा-करकट न फैलाएं।
उद्देश्य: 


मखदूम कुंड एक धार्मिक स्थल है जहाँ लोग पूजा और ध्यान करने के लिए आते हैं।यह माना जाता है कि इस कुंड के जल में औषधीय गुण होते हैं, जो कई बीमारियों को ठीक कर सकते हैं।यह कुंड एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जहाँ लोग प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने आते हैं।

अतिरिक्त जानकारी:

  • मखदूम कुंड के पास मखदूम शाह की दरगाह भी है।
  • हर साल यहां उर्स का मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें देश भर से हजारों लोग आते हैं।
  • मखदूम कुंड राजगीर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
  • कुंड तैराकी और स्नॉर्कलिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
  • कुंड के पास कई रेस्तरां और दुकानें हैं जो स्थानीय भोजन और स्मृति चिन्ह बेचती हैं।
  • कुंड राजगीर रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से बस और ऑटो-रिक्शा द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
  • मखदूम कुंड के पानी का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि कुंड में एक शेर रहता था जिसे मखदूम शाह ने मार दिया था।
  • शेर के खून और पंजे के निशान आज भी कुंड में देखे जा सकते हैं।
  • कुंड का पानी पवित्र माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि इसमें रोगों को ठीक करने की शक्ति है।

राजगीर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है।  इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और घूमने-फिरने में आनंद आता है।  गर्मियों में (अप्रैल से जून) यहाँ काफी गर्मी पड़ती है, जबकि मानसून के दौरान (जुलाई से सितंबर) बारिश हो सकती है।

राजगीर में घूमने में कितना समय लगता है?

राजगीर में घूमने में लगने वाला समय आपकी यात्रा की योजना पर निर्भर करता है। यदि आप मुख्य आकर्षणों को जल्दी से देखना चाहते हैं, तो आप 1-2 दिनों में घूम सकते हैं। लेकिन अगर आप धीमी गति से घूमना चाहते हैं, इतिहास और धर्म में गहराई से जाना चाहते हैं, तो 3-4 दिन भी कम लग सकते हैं।

राजगीर में रहने के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी है?

राजगीर में विभिन्न प्रकार के होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं, जो आपके बजट के अनुसार उपयुक्त होंगे। आप मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के नज़दीक रहना चाहते हैं, तो आप शहर के केंद्र में स्थित होटल चुन सकते हैं। प्रकृति प्रेमी रिसॉर्ट्स का चयन कर सकते हैं जो शहर के बाहरी इलाके में स्थित हैं।

राजगीर में क्या खाना चाहिए?

राजगीर में आपको बिहारी व्यंजनों का स्वाद मिल सकता है। लिट्टी चोखा, कढ़ी-बाड़ी, छेना पोड़ा, मखना दाल, और खीर यहां के कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं। इसके अलावा, आप शाकाहारी और जैन भोजन के कई विकल्प भी पा सकते हैं।

राजगीर में खरीदारी के लिए क्या खास है?

राजगीर में आप हस्तशिल्प की वस्तुएं, पेंटिंग्स, मूर्तियों और धार्मिक सामग्री की खरीदारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप स्थानीय बाजारों से बिहार के प्रसिद्ध मखाना की भी खरीददारी कर सकते हैं।

राजगीर घूमने के लिए क्या सावधानी बरतें?

गर्मी के दिनों में घूमने के लिए टोपी, धूप का चश्मा और सनस्क्रीन साथ रखें।
पीने के लिए पर्याप्त पानी साथ रखें।
आरामदायक जूते पहनें, क्योंकि आपको काफी घूमना पड़ सकता है।
धार्मिक स्थलों पर जाने पर उचित पोशाक पहनें।
कीमती सामानों का ख्याल रखें।

राजगीर की यात्रा आपको इतिहास, आध्यात्म और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत अनुभव प्रदान करेगी। उम्मीद है कि यह लेख राजगीर में घूमने वाली कौन-कौन सी जगहें हैं? (What are the Best Places to Visit In Rajgir) की योजना बनाने में आपकी मदद करेगा!

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